कांग्रेस के ‘समाजवादी नारे’ से ही कम्युनिस्ट के पैर जमे

मैं दिल्ली जनसंघ के कार्यकर्ताओं को निधि-संग्रह के संबंध में उनके संकल्प की सफल पूर्ति के लिए बधाई देता हूँ। सामान्य नागरिकों से एकत्रित यह निधि दिल्ली की जनता के हृदय में जनसंघ के प्रति बढ़ते हुए प्रेम का परिचायक है। उसके प्रति कृतज्ञता का भाव हमलोगों के मन में सहज ही उत्पन्न होता है। […]

हमारी अर्थ-नीति का मूल आधार

विकासोंमुख भारतीय अर्थनीति की दिशा की ओर संकेत अनेक बार किया जा चुका है। यह निश्चित है कि काफी लंबे अर्से से परागति की ओर जानेवाली व्यवस्था को प्रगति की दिशा में बदलने के लिए प्रयास करने होंगे। स्वत: वह ह्रास से विकास की ओर नहीं मुड़ सकती। वास्तव में जब कोई व्यवस्था शिथिल हो […]

पराशर

बचपन में गाँव की पाठशाला में पढ़ते समय छुट्टी के पहने मुहानी होती थी। एक विद्यार्थी खड़ा होकर गिनती और पहाड़े कहता था और शेष सब दोहराते थे। उस समय 16×9 ही हमको सबसे प्रिय लगता था तथा उसको हम लोग बड़े लहजे के साथ कहते थे ‘सोलह नम्मा चलारे चवाल सौ’। शेष सब संख्याओं […]

यात्रा से पूर्व

15 अगस्त भारतीय इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण दिन है। उस दिन संपूर्ण भारत में स्वतंत्रतोत्सव मनाए गए। सहस्रों वर्षों की दासता के बंधन से मुक्ति का अनुभव किसको आनंदकारी नहीं होता। किंतु आनंद के क्षण थोड़े ही रहते हैं। आनंदोत्सव में मनुष्य एकबारगी अपने आपको भूल जाता है, वास्तविकता की कठोर धरती से उठकर कल्पनाकाश […]

‘सब को काम’ ही भारतीय अर्थनीति का एकमेव मूलाधार

बेकारी की समस्या यद्यपि आज अपनी भीषणता के कारण अभिशाप बनकर हमारे सम्मुख खड़ी है किंतु उसका मूल हमारी आज की समाज, अर्थ और नीति व्यवस्था में छिपा हुआ है। वास्तव में जो पैदा हुआ है तथा जिसे प्रकृति ने अशक्त नहीं कर दिया है, काम पाने का अधिकारी है। हमारे उपनिषद्कार ने जब यह […]

अखंड भारत: ध्येय और साधन

भारतीय जनसंघ ने अपने सम्मुख अखंड भारत का ध्येय रखा है। अखंड भारत देश की भौगोलिक एकता का ही परिचायक नहीं अपितु जीवन के भारतीय दृष्टिकोण का द्योतक है जो अनेकता में एकता के दर्शन करता है। अत: हमारे लिए अखंड भारत कोई राजनीतिक नारा नहीं जो परिस्थिति विशेष में जनप्रिय होने के कारण हमने […]

अब्दुल्ला द्वारा जुलाई समझौते का उल्लंघन स्वतंत्र कश्मीर की रूपरेखा तैयार

अलग निशान और अलग प्रधान का निर्माण कर जम्मू और कश्मीर के नेता अपनी पृथकतावादी मनोवृत्ति का परिचय पहले ही दे चुके हैं किंतु जो अलग विधान इस राज्य के लिए उन्होंने बनाने का प्रस्ताव किया है। वह इस मनोवृत्ति का व्यापक स्पष्टीकरण करता है। सच में तो भारत के लिए जम्मू और कश्मीर भी […]